न्यूज डेस्क । पटना. बिहार में बीपीएससी (BPSC) मुद्दे को लेकर राजनीति बेहद गर्म है. इस गहमागहमी में तमाम राजनीतिक पार्टी अपने-अपने हिसाब से राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश में लगी हुई हैं. दरअसल बिहार के तमाम राजनीतिक दल युवा वोटरों के महत्व को अच्छे से समझते हैं. खासकर विरोधी दलों को ऐसा लगता है कि उनके पास युवा वोटरों की नाराजगी को भुनाकर सत्ताधारी दल के खिलाफ माहौल बनाने का बेहतर मौका है. ऐसे में विपक्षी दल इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं. दरअसल बीपीएससी मामले में मुख्य रूप से तीन विपक्षी चेहरों के बीच अभ्यर्थियों का हीरों के लिए रण छिड़ा हुआ है.
तेजस्वी यादव, प्रशांत किशोर और पप्पू यादव अपने-अपने तरीके से युवाओं का चेहरा बनने की कोशिश में जुट हुए हैं. हालांकि इस माहौल के बीच जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठ युवाओं को यह भरोसा देने में जुटे हुए हैं कि उनकी लड़ाई युवाओं के भविष्य के लिए है. लेकिन, इसके साथ ही यह सवाल भी उठने लगे हैं कि प्रशांत किशोर के आमरण अनशन का फायदा उन्हें मिलेगा या पीके की रणनीति से नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को फायदा मिल जाएगा.
इस मुद्दे पर बिहार के वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार कहते हैं कि प्रशांत किशोर और पप्पू यादव छात्रों के हितो को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन, इसी आंदोलन में PK का छात्रों को लेकर जो रवैया सामने आया उससे सवाल भी खड़े हुए हैं. लेकिन, वह छात्रो के बहाने आंदोलन कर युवाओं में पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन, इसका बहुत ज़्यादा फायदा नहीं मिलने वाला है. वहीं पप्पू यादव को स्थिर नेता नहीं माना जाता है वो बहुत फायदा लेने की हालत में नहीं है.
Anu gupta