गोरखपुर के इस टोल प्लाजा संचालक पर लगा 10 लाख का जुर्माना, ब्लैक लिस्ट होगी फर्म..
NG TV desk Uttar Pradesh::::उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में टोल प्लाजा पर वसूले जाने वाले टोल टैक्स में घोटाले को लेकर पिछले माह स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की कार्रवाई के बाद एनएचएआइ के गोरखपुर परियोजना क्रियान्वयन इकाई (पीआइयू) ने भी बड़ी कार्रवाई की है।
गोरखपुर-सोनौली मार्ग पर पीपीगंज स्थित नयनसर टोल प्लाजा के संचालक फर्म पर 10 लाख का जुर्माना लगाने के साथ ही एनएचएआइ के परियोजना निदेशक ललित पाल ने फर्म को ब्लैक लिस्ट करने के लिए मुख्यालय को संस्तुति की है। जल्द ही कार्रवाई हो जाने की उम्मीद है।
परियोजना निदेशक ने यह कार्रवाई नयनसर टोल प्लाजा से जुड़े दो साल के अभिलेखों की जांच में कई गंभीर वित्तीय अनियमितताएं पाएं जाने के बाद की है। विभाग ने संबंधित अभिलेख एसटीएफ को भी भेजे हैं। नयनसर टोल प्लाजा पर एसटीएफ ने 22 जनवरी की देर रात छापा मारा था।
पांच घंटे तक की पूछताछ के बाद एसटीएफ की टीम टोल प्लाजा से लैपटाप और कंप्यूटर आदि जब्त कर साथ लेते गई थी। इसके बाद से ही एनएचएआइ के परियोजना निदेशक की इस टोल प्लाजा पर नजर थी। यद्यपि, एसटीएफ की कार्रवाई के करीब 15 दिन पहले ही उन्होंने इस टोल प्लाजा की जांच की थी। लेकिन, उस समय उनके हाथ कुछ नहीं लगा था।
बाकी टोल प्लाजा पर भी तेज हुई निगरानी
एसटीएफ की कार्रवाई में गड़बड़ी सामने आने के बाद विभाग ने बाकी टोल प्लाजा की भी निगरानी तेज कर दी है। विभाग गोरखपुर क्षेत्र में पड़ने वाले सभी 15 टोल प्लाजा की खुद के साथ ही दूसरे क्षेत्र के एनएचएआइ के तकनीकी कर्मचारियों से भी रेंडम जांच कराई जा रही है।
बिना फास्टटैग वाली गाड़ियों से वसूली में चल रहा था खेल
टोल प्लाजा पर टैक्स वसूली में घोटाले का मामला पकड़ में आने के बाद एसटीएफ ने पिछले माह से अभी तक प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से कई लोगों को हिरासत में लिया है। दावा किया जा रहा है कि जिस साफ्टवेयर के जरिए यह पूरा खेल संचालित होता था, उसे बनाने और इंस्टाल करने वालों की सूची में गोरखपुर के नयनसर टोल प्लाजा का भी नाम था। इसी आधार पर एसटीएफ ने यहां कार्रवाई की थी।
एनएचएआइ विभाग के सूत्रों के मुताबिक नयनसर के साथ ही यूपी समेत अन्य प्रदेशों के टोल प्लाजा में हुए घोटाले की पूरी पड़ताल में जो तथ्य सामने आए हैं वह चौंकाने वाले हैं। टोल प्लाजा पर लगे एनएचएआइ के कंप्यूटर में आरोपी अपना साफ्टवेयर इंस्टाल करते थे, जिसके जरिए टोल प्लाजा से बिना फास्टैग के गुजरने वाले वाहनों से वसूले जा रहे रुपये में धांधली की जा रही थी।
टोल प्लाजा से बिना फास्टैग वाले वाहनों से विशेष साफ्टवेयर से वसूली की जाती थी। उसकी प्रिंट पर्ची एनएचएआइ के साफ्टवेयर से मिलने वाली पर्ची के समान ही होती थी, जिससे आमजन को भी संदेह नहीं होता था। बिना फास्टैग वाले वाहनों से लिए गए टोल टैक्स की औसतन पांच प्रतिशत धनराशि एनएचएआइ के असली साफ्टवेयर से वसूली जाती थी, ताकि किसी को शक न हो।
Anu Gupta