Desk / नई दिल्ली । पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जगह ढूंढी जा रही है। सरकार और उनके परिवार के बीच बातचीत चल रही है। किसान घाट, राष्ट्रीय स्मृति स्थल जैसे जगहों पर विचार हो रहा है। ये सभी जगहें यमुना नदी के किनारे हैं। कुछ ही दिनों में फैसला आने की उम्मीद है। यह स्मारक बनाने की प्रक्रिया, जमीन आवंटन और रखरखाव की जिम्मेदारी कैसे होगी, इन सब पर भी चर्चा हो रही है।
सरकार ने स्मारक के लिए दी जगह’
बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने शनिवार को बताया कि सरकार ने सिंह के स्मारक के लिए जगह दे दी है। उनके परिवार को भी सूचित कर दिया गया है। हालांकि, जगह का खुलासा नहीं किया गया है। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही जानकारी मिल जाएगी। एक सरकारी सूत्र ने बताया कि आमतौर पर, स्मारक के लिए जगह एक सोसाइटी को दी जाती है। विकास और रखरखाव की जिम्मेदारी भी उसी की होती है। इस प्रक्रिया में थोड़ा समय लगेगा।
कांग्रेस ने की ज्यादा जमीन की मांग’
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर दो और समाधियों के लिए जगह है। यहां चार पूर्व राष्ट्रपतियों और तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों की समाधियां हैं। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस की तरफ से ज्यादा जगह की मांग की गई थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया।’ इससे संकेत मिलता है कि सरकार पूर्व प्रधानमंत्री के स्मारक के लिए बड़ी जगह देने पर विचार कर रही है।
हालांकि सरकार ने 2000 में और स्मारक न बनाने का फैसला किया था, लेकिन ऐसे व्यक्तियों के लिए एक जगह तय करने में 13 साल लग गए। इससे पहले, राष्ट्रीय नेताओं के लिए अलग-अलग स्मारक बनाए जाते थे। राज घाट, शांति वन, शक्ति स्थल, वीर भूमि, एकता स्थल, समता स्थल और किसान घाट जैसे स्मारकों ने 245 एकड़ से ज्यादा जमीन घेर रखी है। स्मृति स्थल का निर्माण 2015 में पूरा हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव की समाधि यहां सबसे पहले बनी, हालांकि उनके परिवार को 10 साल इंतजार करना पड़ा।
Anu gupta