NGTV NEWS । NEWS DESK । दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के सात विधायकों ने विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से महज़ पाँच दिन पहले इस्तीफ़ा दे दिया है.
इस्तीफ़ा देने वालों में महरौली के विधायक नरेश यादव, त्रिलोकपुरी के रोहित कुमार, जनकपुरी के राजेश ऋषि, कस्तूरबा नगर के मदन लाल, आदर्श नगर के पवन शर्मा, बिजवासन के भूपेंदर सिंह जून और पालम की भावना गौड़ शामिल हैं.
इस्तीफा देने वाले विधायकों ने ये कहा है कि उनका आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल से भरोसा उठ गया है.
उन्होंने अरविंद केजरीवाल को संबोधित करते हुए लिखा, “आपने कई बार सार्वजनिक मंचों से यह कहा था कि जब हम सत्ता में आएंगे तो दलित समाज/वाल्मीकी समाज के लोगों को आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे. कच्चे कर्मचारियों को पक्का करेंगे और ठेकेदारी प्रथा को पूरी तरह से बंद करेंगे. आपकी बात पर भरोसा करके मेरे समाज ने एक तरफ़ा आपको लगातार समर्थन दिया, जिसके बूते पर दिल्ली में तीन-तीन बार आम आदमी पार्टी की सरकार बनी. आपने मेरे समाज के लोगों के साथ होने वाले भेदभाव और शोषण को रोकने के लिए अभी तक कुछ नहीं किया बल्कि अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए मेरे समाज को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया.”
वहीं पालम की विधायक भावना गौड़ और कस्तूरबा नगर के मदन लाल ने भी ये कहते हुए इस्तीफ़ा दिया है कि उनका पार्टी और उसके शीर्ष नेता अरविंद केजरीवाल से भरोसा उठ गया है.
हालांकि, जनकपुरी सीट के विधायक राजेश ऋषि ने आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से ये आरोप लगाते हुए इस्तीफ़ा दिया है कि पार्टी संगठन ने अपने भ्रष्टाचार मुक्त शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने जैसे बुनियादी सिद्धांतों को छोड़ दिया है.
आदर्श नगर के विधायक पवन शर्मा ने लिखा है, “आम आदमी पार्टी जिस ईमानदार विचारधारा पर बनी थी, उस विचारधारा से पार्टी भटक चुकी है. आम आदमी पार्टी की यह दुर्दशा देखकर मन बहुत दुखी है.”
बिजवासन के विधायक भूपेंदर सिंह जून ने भी पार्टी के बुनियादी मूल्यों और सिद्धांतों से भटकाव की बात कही है.
मतदान से पहले इस्तीफा क्यों।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 5 फ़रवरी को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है और नतीजे 8 फ़रवरी को आएंगे.
यहां 17 जनवरी को नामांकन का आख़िरी दिन था. वहीं, किसी प्रत्याशी के नाम वापस लेने के लिए भी 20 जनवरी आख़िरी तारीख थी जो बीत चुकी है.
2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीती थीं, वहीं बीजेपी को आठ सीटों पर जीत मिली थी और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सका था.
आम आदमी पार्टी ने 17 मौजूदा विधायकों का टिकट काटा था. उसके अलावा चार विधायक ऐसे भी थे जिनकी जगह उनके परिवार के सदस्य को टिकट दिया गया था, जिससे ये संख्या 21 हो गई.
पार्टी ने नरेश यादव के नाम के एलान के बाद उनकी टिकट काटी.
नरेश यादव पर पंजाब के 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान कु़रान की बेअदबी के आरोप थे, जिस मामले में उनकी उम्मीदवारी का एलान होने के बाद कोर्ट में आरोप साबित हो गए. उन्हें दो साल की सज़ा सुनाई गई. इस कारण पार्टी ने उनकी जगह महेंद्र चौधरी को टिकट दे दी.
इसके अलावा हरि नगर से मौजूदा विधायक राजकुमारी ढिल्लों, जिन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया गया था लेकिन नामांकन से चंद दिन पहले उनकी बजाय सुरेंद्र सेटिया को टिकट दिया गया.
नरेला से दिनेश भारद्वाज की जगह दोबारा मौजूदा विधायक शरद चौहान को टिकट दे दिया.
आम आदमी पार्टी को बहुत सारे लोग छोड़कर जा रहे हैं. विषय ये नहीं है कि इन विधायकों या पूर्व विधायकों ने पार्टी छोड़ी है. विषय ये है कि उन्होंने कहा क्या है. उन्होंने कहा है कि अरविंद केजरीवाल जी ने जिस तरह का विश्वास अर्जित करने की कोशिश की थी, प्रारंभ में…वो भी अब खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं. उन्होंने कहा है कि उन्हें अरविंद केजरीवाल पर भरोसा नहीं है क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के साथ-साथ अपने लोगों को भी धोखा दिया है. अन्ना हज़ारे से जो फेहरिस्त शुरू हुई थी, वो आज आकर इन विधायकों पर आकर रुकी है. रुकी है तो इसका मतलब ये नहीं कि ख़त्म हो गई. हर वो आदमी जो दिल्ली में विकास देखना चाहता है, वो अरविंद केजरीवाल या आम आदमी पार्टी के साथ रह ही नहीं सकता है.”
सात विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद कई मौजूदा विधायक वीडियो जारी कर के ये स्पष्टीकरण दे रहे हैं कि वे आम आदमी पार्टी में हैं और आगे भी रहेंगे.
वीडियो जारी करने वालों में पार्टी का जाना-माना चेहरा दिलीप कुमार पांडे भी हैं, जिन्हें इस बार तिमारपुर से पार्टी ने टिकट नहीं दिया है.
उनके अलावा किराड़ी के विधायक ऋतुराज गोबिंद ने भी ऐसा ही वीडियो जारी करते हुए कहा है कि पिछले कुछ सप्ताह में उनसे कई बार बीजेपी ने संपर्क साधा है और कई तरह के प्रस्तावों से लालच देने की कोशिश की है.
इन इस्तीफ़ों से दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत या हार पर कोई असर देखने को मिलेगा, ऐसा प्रमोद जोशी नहीं मानते.
वह कहते हैं, “लोगों के इस्तीफ़े से कोई चुनाव जीतता-हारता तो नहीं है. चुनाव काफी कुछ परसेप्शन पर भी लड़ा जाता है. चुनाव 5 तारीख को है ऐसे में तीन तारीख तक जो गतिविधियां होती हैं, वो सब परसेप्शन बनाने में, समर्थकों को संकेत देती है. वोटर तो अपना तय कर लेते हैं, इससे कार्यकर्ताओं के उत्साह में कमी होता है.”
वह कहते हैं, “ये चुनाव बीजेपी के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं. खुद पीएम मोदी इस चुनाव में सक्रिय हैं. दिल्ली के चुनाव को बड़ा चुनाव नहीं माना जाता लेकिन जिस तरह से दिल्ली में बीजेपी ने इस चुनाव को प्रतिष्ठा का विषय बनाया हुआ है, ऐसे में पार्टी जोश भरने के लिए कदम उठाएगी. अंतिम समय में इस तरह से होना इस बात को बल देता है कि बीजेपी की योजना का ये भी एक हिस्सा हो सकता है.”
Anu gupta