अंचलाधिकारी को पुनः प्रभार देने के लिए पूर्व मंत्री रामाधार सिंह ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को लिखा पत्र

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NGTV NEWS । खबर औरंगाबाद । पूर्व मंत्री रामाधार सिंह ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने अंचलाधिकारी को पुनः प्रभार देने की मांग की है। यह पत्र उस स्थिति के संदर्भ में है, जिसमें अंचल सदर, औरंगाबाद में लगभग डेढ़ साल से किसी भी राजस्व अधिकारी या अंचलाधिकारी का पदस्थापन नहीं हो पाया है। ऐसे में, विभागीय काम और लोगों की समस्याएं लम्बित हो गई हैं, जिससे जनता को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।इस पत्र का संदर्भ उस समय का है जब अक्टूबर 2024 में शशी सिंह को राजस्व अधिकारी के रूप में अंचल कार्यालय, औरंगाबाद में पदस्थापित किया गया। इसके बाद, 24 अक्टूबर 2024 को उन्हें अंचलाधिकारी का अतिरिक्त प्रभार जिला पदाधिकारी महोदय द्वारा सौंपा गया। शशी सिंह ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद जनता की समस्याओं को सुनने और उन्हें हल करने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए। पूर्व मंत्री ने पत्र में लिखा की उन्होंने राजस्व मामलों का कुशलता पूर्वक निष्पादन किया, जिससे स्थानीय लोगों को राहत मिली।जनवरी 2025 में, महफूज आलम, विशेष सचिव द्वारा अंचल कार्यालय, औरंगाबाद का निरीक्षण किया गया। यह निरीक्षण 11 जनवरी को किया गया था, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। विशेष रूप से, लगान निर्धारण और परिमारजन जैसे कार्यों पर जोर दिया गया जो सरकारी भूमि या गैरमजरूआ मालिक से संबंधित थे। इस दौरान, शशी सिंह पर कुछ आरोप भी लगे कि वे इन कार्यों को अपने नाम और रिश्तेदारों के नाम से करने का प्रयास कर रही थीं, जिससे स्थिति और अधिक जटिल हो गई।पूर्व मंत्री रामाधार सिंह का पत्र इस बात की ओर संकेत करता है कि अंचल अधिकारी की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। अंचल अधिकारी, जो स्थानीय प्रशासन का हिस्सा होते हैं, जनता की समस्याओं को सुलझाने और राजस्व मामलों को सही ढंग से निपटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में, उनका उचित पदस्थापन जरूरी है ताकि विभागीय काम समय पर और कुशलता से हो सके।वही पूर्व मंत्री रामाधार सिंह ने पत्र में महफुज आलम, विशेष सचिव, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, पर आरोप लगाते हुए लिखा हैं कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया है। सुश्री के पदस्थापन से पहले, उन्होंने तत्कालीन अंचलाधिकारी औरंगाबाद पर नियमों का उल्लंघन करते हुए बिहार सरकार की बेलगान जमीन का लगान निर्धारण करवाया। यह मामला अब सुर्खियों में है, जिसमें नियमों के विपरीत कार्य किए जाने का आरोप लगाया गया है।लगान निर्धारण वाद संख्या 01/2024-2025 महफूज आलम न्यायालय अपर समाहर्ता सह 9 अपर जिला दण्डाधिकारी औरंगाबाद में चल रहा है। यह मामला खाता संख्या 88, खेसरा संख्या 920 से संबंधित है, जिसमें रकबा 1 डी शामिल है। यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि यह जमीन गैरमजरूआ है, जिसमें वास्तविक खाता संख्या 158 होना चाहिए था। महफुज आलम ने अपने पद के दवाब का उपयोग करते हुए इस खाता को बदलने का प्रयास किया, जो कि स्पष्टतः नियमों के खिलाफ है।इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अंचलाधिकारी को पुनः प्रभार देने के लिए पूर्व मंत्री रामाधार सिंह ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को पत्र लिखा है। यह पत्र इस बात की पुष्टि करता है कि अंचलाधिकारी को उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में इस तरह की गतिविधियों का होना जनता के लिए चिंता का विषय है। एक प्रमुख मामला लगान निर्धारण वाद संख्या 02/2024-2025 है, जिसमें रिजवान खातुन और उनके पति महफुज आलम शामिल हैं। इस मामले में खाता संख्या 156 को गैरमजरूआ के रूप में दर्ज किया गया था, लेकिन दबाव के चलते इस खाते का परिवर्तन कर दिया गया है। न्यायालय के अपर समाहर्ता सह अपर जिला दण्डाधिकारी औरंगाबाद द्वारा खाता संख्या 88 और खेसरा संख्या 920, रकबा 1.5 डी को भी इस मामले में सम्मिलित किया गया है। यह स्पष्ट है कि जो व्यक्ति इस पद का दुरुपयोग कर रहा है, उसे अपने और अपनी पत्नी के नाम पर बिहार सरकार की करोड़ों की संपत्ति को गलत तरीके से हड़पने की कोशिश कर रहा है।दूसरा महत्वपूर्ण मामला दाखिल खारिज वाद संख्या 1380/2020-2021 से संबंधित है। इस मामले में महफुज आलम ने मो. मोबिनुद्दीन हुसैन की जमीन, खाता संख्या 227, प्लॉट संख्या 899/1564, रकबा 2.5 डी को बेचा था। इस मामले में दाखिल खारिज वाद संख्या को बिना उचित नियमों का पालन किए रद्द करने का दबाव दिया गया। लेकिन सुश्री द्वारा जब इस प्रक्रिया को नियम विरुद्ध बताते हुए मना कर दिया गया, तब यह मामला और भी जटिल हो गया। दाखिल खारिज को निरस्त करने का अधिकार DCLR को है।अंचलाधिकारी को पुनः प्रभार देने के लिए पूर्व मंत्री रामाधार सिंह ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने अंचलाधिकारी के पुनः प्रभार की आवश्यकता को स्पष्ट करते हुए कहा है कि यह कदम भूमि सुधार और राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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