जिला विधिज्ञ संघ औरंगाबाद में 25 फरवरी को न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे,

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NGTV NEWS । औरंगाबाद । आज़ जिला विधिज्ञ संघ औरंगाबाद में जिला विधिज्ञ संघ औरंगाबाद के अध्यक्ष विजय कुमार पाण्डेय के अध्यक्षता में आमसभा आयोजित किया गया जिसकी संचालन महासचिव जगनरायण सिंह ने किया, सर्वप्रथम कोषाध्यक्ष प्रदीप कुमार द्वारा साल भर का वार्षिक आय व्यय का ब्योरा प्रस्तुत किया गया इसके बाद जिला विधिक संघ औरंगाबाद के अधिवक्ता कल्याण कोषांग के अध्यक्ष कामता प्रसाद सिंह और सचिव बागेश्वरी प्रसाद द्वारा साल भर के खर्च और बचत के व्योरा प्रस्तुत किया गया है इसके पश्चात जिला विधिज्ञ संघ औरंगाबाद के अध्यक्ष विजय कुमार पाण्डेय ने आमसभा के सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि 25/02/25 को जिला विधिज्ञ संघ औरंगाबाद के अधिवक्ता गण न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे, (अधिवक्ता अधिनियम 1961के प्रास्तावित संसोधन के विरोध क्यों),अध्यक्ष विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि अधिवक्ता अधिनियम 1961 में प्रस्तावित संशोधन को हम अधिवक्ता समाज विरोध करते हैं, इसलिए 25/02/25 को न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे, महासचिव जगनरायण सिंह ने कहा कि यह संसोधन अधिवक्ताओं के हीत के हानिकारक है,यह हमारी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का प्रयास है,उदय कुमार सिन्हा ने कहा कि बार काउंसिल में सरकार का सिधा दखल हमें मंज़ूर नहीं है,सुर्दशन यादव ने कहा कि कोर्ट बहिष्कार अब कदाचार के श्रेणी में क्यों, प्रदीप कुमार ने कहा कि अधिवक्ताओं के व्यवहार जांच में केवल पूर्व जज की ही प्राथमिकता दी जाएगी, सियाराम पांडे ने बताया कि अधिवक्ताओ के तीन साल से अधिक सज़ा पर अधिवक्ता लाइसेंस से नाम काट दी जाएगी,अकमल हसन ने कहा कि बार काउंसिल को नियम और उपनियम बनने को केन्द्र निर्देशित करेगी, दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि विदेशी अधिवक्ताओ के इंट्री से देशी अधिवक्ताओ के हक मारा जाएगा, संजय कुमार सिंह ने कहा कि बीसीआई राज्य बार काउंसिल को कभी भी भंग कर सारे अधिकार अपने ले सकते हैं, अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि एडवोकेट एमेंडमेंट बिल 2025 से केंद्र सरकार को कानूनी पेशा में असिमित नियंत्रण हो जाएगा, अधिवक्ताओं का हड़ताल और कोर्ट बहिष्कार कदाचार के श्रेणी में आ जाएगा, अधिवक्ताओ को झुठी शिकायत से बचने का सुरक्षा होना चाहिए था और जुर्माना से सुरक्षा होना चाहिए था अन्यथा ये संसोधन अधिवक्ताओं के खिलाफ एकतरफा और अन्यायपूर्ण हो सकता है, अधिवक्ताओं पर अनावश्यक दबाव और स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है अधिवक्ताओ को निलंबन और अनुशासनात्मक कार्रवाई का भय बना रहेगा,

Anu Gupta

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