चार वर्षों में दो लाख भारतीय होंगे अमेरिका से डिपोर्ट, लोगों में सताने लगी चिंता; कई टैकोमा जेल में बंद.
NG TV desk :::अमेरिका में अवैध रूप से प्रविष्ट हुए डेढ़ से दो लाख भारतीयों का ओवर स्टे समाप्त हो चुका है। उनके पास दस्तावेज नहीं है। जिन लोगों ने अमेरिका में प्रवेश किया, उनके फिंगर प्रिंट लिए जा चुके हैं। ओवर स्टे वाले लोगों की जानकारी अमेरिका सरकार के पास मौजूद है।
‘सेवन आइ’ एजेंसी ने ओवर स्टे भारतीयों का आंकड़ा अमेरिका सरकार को सौंपा है। आने वाले चार वर्षों में इन भारतीयों का डिपोर्ट होना तय है। कई लोग इस डर से स्वयं अमेरिका छोड़कर भारत लौट रहे हैं।
यह डरावना परिदृश्य शनिवार को यहां एनआरआई सभा में आयोजित दो दिवसीय ग्लोबल माइग्रेशन राष्ट्रीय सेमिनार में एक विशेषज्ञ ने प्रस्तुत किया गया। ‘सिख सेंटर ऑफ सिएटल’ के पूर्व चेयरमैन एवं मौजूदा आउटरीच कंसलटेंट हरजिंदर सिंह संधा ने अपने संबोधन में बताया कि टैकोमा जेल में बिना दस्तावेज के कई भारतीय बंद हैं, जो आईटी कंपनियों में काम करने या बिजनेस करने अमेरिका पहुंचे हैं पर उनका ओवर स्टे समाप्त हो चुका है..
माइग्रेशन का कारण
बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, राजनीतिक सिस्टम, बेहतर गवर्नेंस की कमी, कृषि संकट, नशा व बुरी संगत का अभिभावकों में डर, दिखावा, अनिश्चित भविष्य1950 से 1980 तक केवल कुछ लोग उच्च शिक्षा प्राप्त करने विदेश जाते थे। अब विदेश में शिक्षा के नाम पर पंजाबियों की जेब खाली हो रही है और दूसरे देशों की भर रही है।’ सेमिनार में पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से सामाजिक एवं राजनीति विशेषज्ञ डा. रौणकी राम ने यह सच्चाई उजागर की।
उन्होंने कहा कि अधिकतर बच्चे कनाडा, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया व यूके जाने लगे हैं। वर्ष 2017-18 में 27 हजार करोड़ रुपये कनाडा गए। इस कालखंड में सवा लाख बच्चे कनाड़ा में पढ़ाई करने गए। यह आर्थिक बोझ स्वजनों ने ऋण लेकर या जमीन-जायदाद बेचकर झेला।
बच्चे विदेश में भी जो कोर्स कर रहे हैं, अब उनके अनुरूप उन्हें नौकरियां या काम नहीं मिल रहा है। वर्तमान में चल रहा प्रवासन समाजिक, राजनीतिक व आर्थिक रूप से भविष्य के लिए खतरनाक है।
ट्रैवल एजेंटों व आइलेट्स सेंटरों पर केरल की तरह बनाएं नीति
‘खुशहाल पंजाब के लोगों को विदेश के लालच में ट्रैवल एजेंटों व आइलेट्स सेंटरों ने फंसाने में अहम भूमिका निभाई है।’ पंजाब व गुजरात से तेजी से हो रहे हो रहे प्रवास की गहन पड़ताल करने वाले केरल के इंटरनेशनल माइग्रेशन केंद्र के चेयरमैन प्रो. एसआई राजन ने सेमिनार में ऑनलाइन संबोधन में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि पंजाब में राज्य सरकार एजेंटों व आइलेट्स सेंटरों को धड़ाधड़ लाइसेंस बांट रही है परंतु इनकी कार्यप्रणाली पर ध्यान देने की जहमत नहीं उठाती। उन्होंने कहा कि केरल में माइग्रेशन पॉलिसी बनाई गई है जिसमें हर वर्ष प्रत्येक एजेंट का ऑडिट होता है और सूची तैयार होती है कि कितने लोग किस तरीके से किस देश गए। युवाओं को स्कूल कालेजों में ही आइलेट्स सिखाई जाती है।
यूथ को रोजगार के लिए पालिसी है, बेरोजगारी कम व साक्षरता दर अधिक होने से विदेश जाने वालों की संख्या दूसरे राज्यों के मुकाबले कम है। जो जा रहे हैं वे कानूनी ढंग से जाते हैं। स्किल शिक्षा व रोजगार के लिए अलग से बजट रखा जाता है।
उन्होंने पंजाब में आइलेटस सेंटरों व एजेंटों पर शिकंजा कसने के लिए नीति तैयार करने, स्किल ट्रेनिंग व रोजगार के लिए अलग से फंड का प्रविधान रखने की सलाह दी।
Anu Gupta