न्यूज डेस्क । 33 वर्षीय मुकेश चंद्राकर एक जनवरी की रात से ही अपने घर से लापता हो गए थे. बाद में उनका शव एक सेप्टिक टैंक से बरामद किया गया था.
इस मामले में पुलिस तीन जनवरी को सुरेश चंद्राकर के दो भाई रितेश चंद्राकर और दिनेश चंद्राकर समेत एक सुपरवाइज़र महेंद्र रामटेके को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही थी
दरअसल दिसंबर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने माओवाद प्रभावित इलाकों में सड़क निर्माण में हो रहे कथित भ्रष्टाचार पर एक ख़बर चलाई थी.
इस ख़बर के बाद राज्य सरकार ने सड़क निर्माण के उस ठेके पर जांच बैठाई थी.
एक जनवरी की शाम पत्रकार मुकेश चंद्राकर को उनके दूर के भाई रितेश चंद्राकर ने अपने घर खाने के लिए बुलाया था.
बस्तर पुलिस ने 4 जनवरी को पत्रकारों को बताया कि खाना खाने के दौरान ही रितेश और मुकेश में बहस हुई और उसके बाद मुकेश की हत्या कर दी गई.
छत्तीसगढ़ के बस्तर में हुई इस हत्या के बाद देशभर में यह घटना चर्चा का केंद्र बनी हुई है. माओवाद प्रभावित बस्तर में पत्रकारिता की चुनौतियों के बीच इस घटना पर देशभर के पत्रकारों ने प्रतिक्रिया भी दी.
वरिष्ठ पत्रकार आलोक प्रकाश पुतुल के मुताबिक़, बस्तर में माओवादियों की ओर से अपह्रत पुलिसकर्मियों और ग्रामीणों की रिहाई में मुकेश ने कई बार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
Anu gupta