न्यूज डेस्क । Bihar Politics । बिहार में बीते 20 दिनों से सियासी तापमान बढ़ा हुआ है. तरह-तरह की अटकलें लग रही हैं. इस बीच कुछ ऐसे संकेत भी मिले हैं, जिससे बड़े उलट-फेर की आशंका लोग जताने लगे हैं. इस बीच बिहार में इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने वाले आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार के लिए राजद का दरवाजा खोले रखने की बात नववर्ष के पहले ही दिन कह कर सबको चौंका दिया. लालू के ऑफर को लेकर बाद में उनके बेटे और बिहार के पूर्व डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव को सफाई देनी पड़ी कि ऐसी बात नहीं है. अब इंडिया ब्लॉक में नीतीश कुमार को रखने पर तालाबंदी हो चुकी है. लालू यादव ने 18 जनवरी को कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर आशंकाओं और कयासों को और हवा दे दी है. यह सब तब हो रहा है, जब नीतीश ने एनडीए में ही बने रहने की प्रतिबद्धता कई बार दोहराई है. शनिवार को भी उन्होंने गोपालगंज में साफ-साफ कहा कि वे पिछली गलती अब नहीं करेंगे.
16 दिसंबर से बढ़ा है सियासी तापमान
बीते साल 2024 के आखिरी महीने दिसंबर की 16 तारीख को एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के संदर्भ में पूछे गए एक सवाल- आप नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे या फिर महाराष्ट्र की तरह कोई भी फेस नहीं होगा?- का जवाब दिया. शाह शायद सवाल का मकसद समझ गए थे. इसलिए उन्होंने साफ कहा- ‘देखो भाई, आप कितना भी चाहो एनडीए में दरार नहीं होने वाली है…. देखिए इस तरह का मंच पार्टी के डिसिजन लेने के लिए या बताने के लिए नहीं होता है. मैं पार्टी का डिसिप्लिन्ड कार्यकर्ता हूं. पार्टी पार्टिलियामेंट्री बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होगी और फैसला लिया जाएगा. उसी तरह यह मुद्दा जेडीयू में भी विचार किया जाएगा. दोनों पार्टयों के बीच बातचीत के बाद तय होगा उसे आपको बता दिया जाएगा
लालू ने दरवाजा खोलने की बात कही
नीतीश कुमार की मीडिया से दूरी उनकी चुप्पी मान ली गई. टीवी चैनल के कार्यक्रम से दिल्ली दौरा तक में इनकी नाराजगी तलाशी गई. इधर लालू यादव द्वारा दरवाजा खोले रखने वाले बयान को भी नीतीश की पिछली गलती से जोड़ा जाने लगा, जिससे वे कई बार अपने अंदाज में इनकार कर चुके हैं. अमित साह के कार्यक्रम और मनोहर खट्टर को बिहार का प्रभारी बनाए जाने को भी भाजपा-जेडीयू के बीच बढ़ती दूरी से जोड़ दिया गया. और तो और, आरिफ मोहम्मद खान को राज्यपाल बनाए जाने को भी भाजपा की बिहार के लिए रणनीतिक चाल माना जाने लगा।
मामला सिर्फ बड़ा भाई बने रहने का है
जेडीयू के अंदरखाने की खबर है कि उसे विधानसभा चुनाव में 122 सीटें चाहिए. भाजपा को 121 सीटें देकर बिहार में जेडीयू उसे छोटा भाई बनाए रखना चाहती है. लोकसभा वाला फार्मूला जेडीयू लागू करना चाहती है, जिसमें एक सीट अधिक लेकर भाजपा पहली बार बिहार में बड़ा भाई बन गई थी. नीतीश ने अपने अपमान का यह घूंट इसलिए पी लिया था कि भाजपा की ही मदद से वे सीएम हैं. दूसरा कारण भी था. वे विधानसभा में बराबरी पर भी तैयार हो जाते, पर भाजपा से उन्हें और भी अधिक सीटों पर लड़ना है. आप आश्चर्य करेंगे कि यह कैसे होगा.
Anu gupta