10 Points में जानिए बजट से जुड़ी 10 बड़ी बातें, पहले शाम को अब सुबह… कैसे बदली टाइमिंग…

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NGTV NEWS । NEWS DESK । 01 फरवरी को इस साल आम केंद्रीय बजट पेश किया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद की पटल पर आम बजट को पेश करेंगी। हर साल पेश किया जाने वाला ये आम बजट आगामी वित्तीय वर्ष के लिए देश के अनुमानित आय और व्यय को रेखांकित करता है।

आम बजट सरकार के साथ देश के आम नागरिकों को भी सीधे प्रभावित करता है। यही वजह है कि बजट आने से पहले इसको लेकर तमाम चर्चाएं की जाने लगती हैं। केंद्रीय बजट भारत की आर्थिक नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बजट से कर व्यवस्था से लेकर लोक कल्याण योजनाओं तक हर चीज को प्रभावित होती है।

केंद्रीय बजट से जुड़ी मुख्य बातें यहां जानिए

केंद्रीय बजट 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए एक लेखा जोखा होता है। सामान्य शब्दों में सरकार की अपेक्षित आय (राजस्व) और व्यय के लिए एक विस्तृत वित्तीय योजना है।

बजट के संसद की पटल पर रखा जाता है। मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद इसको वित्त मंत्री पेश करता है।

केंद्रीय बजट प्रत्येक साल 01 फरवरी को पेश किया जाता है। हालांकि, चुनावी वर्षों में इसका रूप बदल जाता है। उस समय बजट दो बजट को दो भागों में पेश किया जाता है। चुनाव से पहले एक अंतरिम बजट और चुनाव परिणामों के बाद पूर्ण बजट।

वर्ष 1998 तक बजट फरवरी के आखिरी कार्य दिवस पर शाम पांच बजे पेश किया जाता था। साल 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत यशवंत सिन्हा ने बजट पेश करने का वक्त बदल दिया और इसको सुबह 11 बजे कर दिया है। सरकार का मानना था कि चर्चा और कार्यान्वयन के लिए यह अधिक व्यावहारिक समय है।

साल 2017- 18 में बजट की प्रस्तुति तारीख को बदला गया और इसको 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा। इसी समय से अलग से रेल बजट पेश करने की दशकों पुरानी परंपरा को भी समाप्त कर दिया गया।

केंद्रीय बजट के माध्यम से विभिन्न सरकारी मंत्रालयों और विभागों को धन आवंटित किया जाता है। इस बजट में रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचे और सब्सिडी जैसे क्षेत्रों का प्रबंधन करते हैं।

केंद्रीय बजट दो भागों में विभाजित किया जाता है। इसमें राजस्व बजट और पूंजी बजट होता है। राजस्व बजट में सरकार के दैनिक खर्चों की जानकारी जैसे परिचालन व्यय, वेतन, पेंशन और नियमित सेवाओं से संबंधित है।

पूजी बजट का मुख्य उद्देश्य बुनियादी ढांचे के विकास, शैक्षिक परियोजनाओं और स्वास्थ्य सेवा पहल जैसे दीर्घकालिक निवेशों पर केंद्रित है। हालांकि, जब पूंजीगत व्यय राजस्व बजट से अधिक होता है तो राजकोषीय घाटा होता है।

विभागों की तैयारी के दौरान विभिन्न सरकारी विभागों, विशेषज्ञों और अन्य हितधारतों के साथ व्यापक चर्चा की जाती है। बजट से पहले तमाम बैठकें की जाती हैं। इन बैठकों में राष्ट्र की आवश्यकताओं को ध्यान रखते हूए चर्चा की जाती है।

केंद्रीय बजट भारत की आर्थिक नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बजट से कर व्यवस्था से लेकर लोक कल्याण योजनाओं तक हर चीज को प्रभावित होती है। सामान्य भाषा में बजट एक ऐसा दस्तावेज है जो न केवल सरकार के काम को बल्कि देश के आम नागरिकों को भी प्रभावित करता है।

Anu gupta

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