NGTV NEWS । NEWS DESK । साल 2025 का बजट आने में बस 3 दिन बचे हैं और हर किसी की निगाहें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पर टिकी हुई हैं. वैसे तो बजट से देश के हर नागरिक को बहुत उम्मीदें हैं, लेकिन नौकरीपेशा व्यक्ति के लिए यह बजट उम्मीद से ज्यादा जरूरत से जुड़ा है. खासकर इनकम टैक्स को लेकर इस बजट से बहुत सारी आस लगी है.
सरकार ने नई टैक्स रिजीम को वित्तवर्ष 2023-24 से डिफ़ॉल्ट टैक्स व्यवस्था बना दिया था. अभी तक लगभग 72% करदाताओं ने नई आयकर व्यवस्था को अपनाया है. 2024-25 के लिए कुल 7.28 करोड़ में से 5.27 करोड़ आईटीआर नई व्यवस्था के तहत दाखिल किए गए. वित्त वर्ष 2023-24 से वेतन आय पर मानक कटौती को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये करने से इस बदलाव को और बढ़ावा मिला. लेकिन, टैक्सपेयर्स आज भी नई और पुरानी व्यवस्था को लेकर असमंजस में हैं और इसमें कुछ बदलाव की उम्मीद कर
टैक्सपेयर्स की ज्यादातर उम्मीदें पुरानी टैक्स रिजीम को लेकर हैं, क्योंकि इस रिजीम में पिछले 10 साल से कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. जाहिर है कि इसका चुनाव न करने के पीछे यह भी एक बड़ी वजह है. सरकार ने जबसे नई टैक्स व्यवस्था को लागू किया है, उनका पूरा जोर सिर्फ इसी को बेहतर बनाने पर है. ऐसा लगता है कि सरकार नई व्यवस्था को ज्यादा तवज्जो दे रही, ताकि लोग सिंपल टैक्स सिस्टम की तरफ ज्यादा से ज्यादा बढ़ सकें.
करदाताओं को उम्मीद है कि अभी 12 लाख तक की इनकम पर लगने वाले 20 फीसदी टैक्स को घटाकर 15 फीसदी किया जाए और 15 लाख से 20 लाख तक मिलने वाली छूट को 30 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी किया जाए. इसी तरह, 20 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगाने की मांग की जा रही है. इससे मध्यम वर्ग और वेतनभोगी करदाताओं को काफी राहत मिल सकती है, जिससे उपभोक्ता खर्च में वृद्धि हो सकती है, जो आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है.
राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में भी कर्मचारी के योगदान के लिए धारा 80CCD(1B) के तहत 50,000 रुपये की कटौती मिलती है. माना जा रहा है कि इस छूट को नई टैक्स व्यवस्था में भी शामिल किया गया है. इससे सेवानिवृत्ति कोष बनाने के लिए निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, वित्तीय सुरक्षा और कल्याण को बढ़ावा मिलेगा और भविष्य निधि के मुकाबले NPS को बढ़ावा मिलेगा.
पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत अभी होम लोन के ब्याज पर सालाना 2 लाख रुपये तक की छूट दी जाती है, जबकि इस व्यवस्था को बढ़ाकर 3 लाख रुपये किए जाने की मांग है. अभी होम लोन के मूलधन के भुगतान पर धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की भी छूट दी जाती है. इस तरह, ब्याज पर छूट बढ़ाने से कुल छूट का दायरा 4.5 लाख रुपये हो जाएगा.
अभी पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत 2.5 लाख रुपये की सीधी टैक्स छूट दी जाती है, जिसका मतलब है कि सालाना 2.5 लाख रुपये कमाने पर कोई टैक्स नहीं लगता है. इस सीधी टैक्स छूट को बढ़ाकर 3 लाख रुपये किए जाने की डिमांड है. ऐसा होता है तो 3 लाख रुपये तक की कमाई पर एक भी पैसे का टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा.
Anu gupta