महापुरुषों के सम्मान के लिए विरासत बचाओ संघर्ष परिषद संघर्ष करेगा तेज, महापुरुषों का अपमान नहीं होगा बर्दाश्त

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NGTV NEWS । औरंगाबाद । विरासत बचाओ संघर्ष परिषद के तत्वाधान में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। यह प्रेस वार्ता शहर के संगम रिसोर्ट में आयोजित की गई। प्रेस वार्ता के दौरान परिषद के संरक्षक ओबरा विधायक ऋषि यादव ने बताया कि आज देश अपने पूर्वजों की वजह से ही सुरक्षित है। पूर्वजों का सम्मान हर हाल में होना चाहिए। चाहे दाउदनगर थाना के महावर में हुई रामविलास पासवान की मूर्ति टूटने की घटना हो या फिर दानी बीघा से पूर्व मंत्री स्वर्गीय रामविलास सिंह यादव की प्रतिमा हटाने का मामला हो इस तरह की घटनाएं समाज में नहीं होनी चाहिए। जिला प्रशासन को चाहिए कि तत्काल इस मूर्ति का पुनर्स्थापना करे। हमें आंदोलन करने को विवश न करे।

परिषद के अध्यक्ष सत्येंद्र यादव ने बताया कि महापुरुषों की प्रतिमाएं सम्मान का प्रतीक हैं, लेकिन जिस तरह से कुछ महापुरुषों को सुनियोजित तरीके से अपमानित किया जा रहा है। अपने महापुरुषों को उचित सम्मान देना हम सब की दायित्व ही नहीं बल्कि कर्तव्य भी हैं। हमारे जिले में कई महापुरुष हुए, लेकिन हम लोगों ने सम्मान कुछ ही महापुरुषों तक सीमित रखा , जो बेइमानी हैं। आने वाली पीढ़ियां हम से पूछेगी , आखिर हमने अपने अन्य महापुरुषों के योगदानों को भुलाया कैसे? महापुरुषों का आदर सम्मान करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। आज जिले में अधिकांश सार्वजनिक स्थलों पर एक या दो परिवारों के महापुरुषों की प्रतिमाएं लगी हुई है।

शहर में लगी कुछ महापुरुषों की प्रतिमाएं अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही हैं जिसमें किसी ने देश सेवा में दी जान, तो किसी ने विश्‍व मंंच पर भारत का परचम लहराया,आज जिला प्रशासन की रखरखाव के अभाव में सरदार वल्लभ भाई पटेल और शहीद जगपति की प्रतिमाएं धूल फांक रही है। वहीं महान स्वतंत्रता सेनानी कुमार बद्री नारायण सिंह का आज तक एक भी प्रतिमा नहीं लगाई गई है। हालांकि जिला परिषद ने बद्री बाबू को सम्मानित करते हुए,बद्रीनारायण मार्केट बनाया है। उसी क्रम में जिला परिषद द्वारा 08.01.2023 को जिला परिषद की सामान्य बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया था जिसमें शहर के दानी बिगहा व्यावसायिक परिसर को पूर्व मंत्री रामबिलास सिंह यादव के नाम से नामकरण किया गया है जिसमें बीते 06.11.2024 को पूर्व मंत्री रामबिलास बाबू का आदम कद प्रतिमा बस स्टैंड परिसर में बने फाउंडेशन पर स्थापित किया गया था , लेकिन 08.11.2024 को उप विकास आयुक्त अभ्येंद्र मोहन सिंह के आदेश पर रात की अंधेरे में आदम कद प्रतिमा को नगर थाना में भेजवा दिया गया। इसके बाद 12.11.2024 को जिला पार्षदों की एक टीम द्वारा प्रेस-वार्ता के माध्यम से आदम कद प्रतिमा यथा स्थान पर पुनर्स्थापित करने को लेकर जिला प्रशासन को 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया गया था। इसके वावजूद अब तक मामले में जिला प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई। ऐसे में क्या कार्यपालक पदाधिकारी सदन से बड़ा है ,जो सर्वसम्मत प्रस्ताव के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इससे जिले वासियों में आक्रोश की भावना हैं।

हम किसी मूर्ति का विरोध नहीं करते लेकिन उनकी मूर्ति का विरोध जो लोग कर रहे हैं, उन्हें भी यह समझना होगा कि शहर में कोई भी मूर्ति वैध तरीके से नहीं लगाई गई है जिन्होंने अपनी जमीन बताकर स्वर्गीय रामविलास सिंह यादव की मूर्ति लगाने का विरोध किया और तत्कालीन बस स्टैंड के बोर्ड को तोड़ा, वे उस समय कहां थे जब इसी भूखंड के एक भाग पर सत्येंद्र नारायण सिन्हा के नाम पर पार्क का निर्माण किया गया और वहां सत्येंद्र नारायण सिन्हा की मूर्ति भी लगाई गई। विरोध करने वाले लोग भी दोहरी नीति अपना रहे हैं जिससे उनके व्यवहार से जातीयता की नफरत दिख रही है, जो कि सरासर गलत है।

हम डीडीसी से मांग करते हैं कि अभिलंब मूर्ति को थाने से निकालकर दानी बिगहा व्यावसायिक परिसर में पुनर्स्थापित करें। अगर ऐसा नहीं होता है तो इसके लिए जो भी स्थिति निर्मित होगी उसका जिम्मेवार स्वयं डीडीसी और जिला प्रशासन होंगे। डीडीसी अभियेंद्र मोहन सिंह नहीं चाहते कि किसी दलित पिछड़ा की मूर्ति शहर में लगाई जाए। इसलिए बड़े ही शातिर तरीके से मूर्ति को रातों-रात अपनी जगह से हटवा कर थाने में कैद कर दिया गया।

महासचिव राधे प्रसाद ने कहा वहीं जिला परिषद के ही ज़मीन पर सतेंद्र नारायण सिन्हा पार्क में पूर्व मुख्यमंत्री सतेंद्र नारायण सिन्हा की प्रतिमा लगी हैं जिसका न कोई प्रस्ताव है न कोई प्रशासनिक अनुमति नहीं है। वह प्रतिमा वैध कैसे हो सकती है। इस पर जिला प्रशासन मौन क्यों है।आजाद भारत की यह पहली घटना है जिसमें किसी महापुरुष के प्रतिमा को थाने में कैद किया गया हो, नीतीश कुमार के पदाधिकारी बेलगाम हो गया है जबकि रामविलास बाबू लालू प्रसाद यादव , नीतीश कुमार एवं अन्य समाजवादी नेता के अभिभावक रहे है।

रामबिलास बाबू के मरणोपरांत उनकी प्रतिमा की दुर्दशा को देखकर लोग शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं। जबकि प्रशासन उनकी प्रतिमा को लेकर संवेदनशील नहीं हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिमाओं की अनदेखी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कुछ लोग महापुरुषों के प्रतिमाओं के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं, न की उनके विचारों को खत्म कर सकते हैं। रामबिलास बाबू का जिला ही नहीं राज्य के विकास में अहम भूमिका रहा है। वे पांच बार विधायक और सात विभागों के मंत्री रहे है। दाऊदनगर को अनुमंडल बनाने में उनका अहम योगदान रहा हैं। उनकी कृति मिटाने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रवक्ता संजीत कुमार ने कहा कि हमने महसूस किया है कि जिले में ऐसे कई स्थान हैं जहां मूर्ति किसी और की लगी और नामकरण कोई और कर लिया। इसका जीता जागता सबूत कलेक्ट्रेट में स्थित नगर भवन है। नगर भवन का नामकरण शहिद जगतपति के नाम पर किया गया था, जिनका बोर्ड और मूर्ति भी परिसर में लगाया गया है। जबकि कालांतर में उसका नामकरण अनुग्रह नारायण सिंह के नाम से कर दिया गया। विरासत बचाओ संघर्ष समिति का मानना है कि इस देश में, इस राज्य में और इस जिले में विकास के योगदान में सबका बराबर की सहभागिता रही है। लेकिन महापुरुषों के नाम पर भेदभाव फैलाना और जातीय नफरत फैलाना कहीं से उचित नहीं है।

कहा कि बीपी मंडल और अमर शहीद जगदेव बाबू की शहादत को बेकार नहीं जाने देंगे। आजतक जिला मुख्यालय में उनके नाम पर कोई सरकारी संस्थान का नामकरण नहीं है, और ना ही कोई चौक-चौराहा। महान स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व विधायक संत पदारथ सिंह का इस जिले के विकास में अहम योगदान है उन्होंने कई शैक्षिक स्थानों की स्थापना किया। उसी में रामलखन सिंह यादव कॉलेज है। राजकीय सम्मान के साथ नाम नहीं लेना समाजवाद का माखौल उड़ाना है। 60 के दशक में महावीर प्रसाद अकेला ने नबीनगर में सामंतवाद के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी और विधायक बने। उन्होंने “बोया पेड़ बबूल का” नामक एक किताब लिखा था जिसे सरकार ने कभी पब्लिश नहीं होने दिया हैं। उन्होंने लोगो को एकजुट होने का आह्वान किया। कहा कि जब तक समाज के लोग जागेंगे नहीं, महापुरुषों की उपेक्षा से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस अवसर पर परिषद के संरक्षक ओबरा विधायक ऋषि कुमार, सचिव संतोष कुमार, उदय उज्जवल, विकास यादव, सुशील कुमार सहित अन्य मौजूद रहे।

Gautam Kumar

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