राष्ट्रीय लोक अदालत के आयोजन को लेकर जिला जज द्वारा किया गया प्रेस कान्फ्रेस

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औरंगाबाद । जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार राज कुमाऱ द्वारा जिला के विभिन्न समाचार पत्र, प्रिंट मिडिया, इलेक्ट्रोनिक मिडिया के साथ जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सभागार में प्रेस कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया । जिसमें 14 सितंबर को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत के सम्बन्ध में प्राधिकार के द्वारा किये जा रहे कार्यो के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी विभिन्न संवाददाताओं को उपलब्ध कराया । जिला जज ने बताया कि 14 सितम्बर, 2024 को वर्ष 2024 का तृतीय तथा हमारे कार्यकाल का पहला राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन होना है, जिसके लिए न्यायालयों से सम्बन्धित सुलहनीय वादों में अबतक की गयी कार्रवाई का विस्तृत ब्यौरा सभी संवाददाताओं को उपलब्ध कराया गया। जिला जज द्वारा बताया कि दिनांक 14 सितंबर को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए न्यायालय में लम्बित सभी तरह के सुलहनीय वादों से सम्बन्धित नोटिस को पुलिस के माध्यम से पक्षकार को हस्तगत कराया गया है साथ ही तामिला प्रतिवेदन पर प्राप्त मोबाइल संख्या के आधार पर कार्यालय द्वारा उन्हें राष्ट्रीय लोक अदालत के दिन उपस्थित रहने हेतु भी सूचित किया गया है। जिला जज द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा पूर्ववर्ती आयोजित सभी राष्ट्रीय लोक अदालत से सम्बन्धित विविध गतिविधियों में बृहत प्रचार-प्रसार में सभी पत्रकारों का महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्ति पर आभार व्यक्त किया गया। साथ ही साथ 14 सितम्बर 2024 को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत में सभी का महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा और आगे भी होता रहेगा, ऐसा सभी संवाददाताओं से अपेक्षा की गयी है।

जिला जज द्वारा सभी विभागों द्वारा अपने विभाग अन्तर्गत लम्बित सुलहनीय वादों की सूची उपलब्ध कराने हेतु दिये गये निर्देश से अवगत कराया गया। जिला जज ने बताया कि सभी सम्बन्धित विभागों न्यायालय तथा सम्बन्धित पदाधिकारियों के साथ कई दौर की बैठक का आयोजन किया गया।

मीडिया द्वारा किये जाने वाले सार्थक सहयोग के प्रतिफल के रूप में राष्ट्रीय लोक अदालत के दिन इसका साकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना है। प्रेस कान्फ्रेस में वादों के सम्बन्ध में प्राधिकार के सचिव सुकुल राम ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रारम्भिक स्तर पर अभी तक 1930 सुलहनीय वादों जो न्यायालय में लम्बित है चिन्ह्ति किया गया है। तथा 69 वादों में प्री-काॅन्सेलिंग की कार्यवाही तथा 42 वादों में निस्तारण हेतु सहमति प्रदान किये जाने तथा 4000 नोटिस निर्गत किये जाने तथा 2350 तामिला प्रतिवेदन प्राप्त होने तथा 550 वादों का निस्तारण का लक्ष्य से सम्बन्धित ब्यौरे से संवाददाताओं को जानकारी उपलब्ध कराया गया। साथ ही प्री-लिटिगेशन के अन्तर्गत 4000 से अधिक बैंक ऋण सम्बन्धी मामलों को इस लोक अदालत में लाने का लक्ष्य रखा गया है और इनसे सम्बन्धित नोटिस प्रेषण की कार्रवाई की जा चुकी है | जिसे आगे बढ़ने की संभावना है। साथ ही साथ प्रेस वार्ता के समय बताया गया कि न्यायालय स्तर से बड़े पैमाने पर नोटिस प्रेषित करने की कार्यवाही की गयी है। जिससे कि न्यायालय में लम्बित सभी तरह के सुलहनीय मामलों का अधिक से अधिक निस्तारण संभव हो सकेगा।

इस अवसर पर सभी संवाददाताओं ने राष्ट्रीय लोक अदालत के वृहत प्रचार-प्रसार में अपनी भूमिका को पुरी तरह से निर्वह्न करने का भरोसा दिया गया और कहा गया कि पूर्व में भी हमलोगो का सहयोग मिला है और यह निरंतर जारी रहेगा। सचिव ने राष्ट्रीय लोक अदालत में त्वरित निस्तारण हेतु गठित बेंच के बारे में जानकारी देते संवाददाताओं को बताया कि औरंगाबाद जिला एवं अनुमण्डलीय न्यायालय, दाउदनगर को मिलाकर कुल 10 बेंचों का गठन किया गया है जिसमें वादों का त्वरित निष्पादन किया जायेगा। सचिव ने बताया कि औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में राष्ट्रीय लोक में वादों के निष्पादन हेतु बेंच संख्या 01 मोटर दुर्घटना वाद, ईजराय वाद, भरण-पोषण वाद तथा पारिवारिक मामलें, बेंच संख्या बेंच संख्या 2 पर अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी, प्रथम एवं तृतीय के न्यायालय से सम्बन्धित सुलहनीय वाद। बेंच संख्या 3 पर अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी चतुर्थ एवं षष्टम के न्यायालय से सम्बन्धित सुलहनीय वाद। बेंच संख्या 04 मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के न्यायालय से सम्बन्धित सुलहनीय वाद तथा खनिज, वन, श्रम एवं बिजली इत्यादि से सम्बन्धित वाद, बेंच संख्या 05 पर औरंगाबाद जिला के सभी बैंक से सम्बन्धित ऋण वाद। बेंच संख्या 06 में अनुमण्डलीय न्यायिक दण्डाधिकारी के न्यायालय श्रीमती निधि जायसवाल, न्यायिक दण्डाधिकारी, प्रथम श्रेणी के न्यायालय से सम्बन्धित सूलहनीय वाद एवं एनआई एक्ट से सम्बन्धित मामलें बेंच संख्या 07 में शोभित सौरभ, नेहा दयाल, न्यायिक दण्डाधिकारी, प्रथम श्रेणी के न्यायालय से सम्बन्धित सुलहनीय वाद, बेंच संख्या 08 पर ओम प्रकाश नारायण सिंह, न्यायिक दण्डाधिकारी, प्रथम श्रेणी तथा नेहा एवं रज्जाक जिनका न्यायालय अभी खाली है तथा शुभांकर शुक्ला न्यायिक दण्डाधिकारी द्वितीय श्रेणी के न्यायालय से सम्बन्धित सुलहनीय वाद का निस्तारण किया जायेगा।

अनुमण्डलीय न्यायालय, दाउदनगर के लिए गठित बेंच के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि बेंच संख्या 09 पर अनुमण्डलीय न्यायिक दण्डाधिकारी, दाउदनगर एवं द0प्र0सं0 की धारा 107 एवं 144 से सम्बन्धित वाद का निस्तारण किया जायेगा। बेंच संख्या 10 पर श्री आशीष कुमार एवं श्वेताभ शाण्डील्य न्यायिक दण्डाधिकारी के न्यायालय से सम्बन्धित सुलहनीय आपराधिक वाद का निस्तारण किया जायेगा। सचिव द्वारा जिले वासियों से यह अपील भी किया गया कि राष्ट्रीय लोक अदालत का अधिक से अधिक फायदा उठायें और राष्ट्रीय लोक अदालत के दिन आकर अपने वादों को निस्तारण कराने में विशेष रूचि लें और राष्ट्रीय लोक अदालत का फायदा जिले वासियों को अधिक से अधिक लोगो को मिले इसके लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार तत्पर है। कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली (एलएडीसीएस) का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करें मीडिया-जिला जज कानूनी सेवा वितरण का एक नया मॉडल कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली (एलएडीसीएस) सार्वजनिक रक्षक प्रणाली के अनुरूप नालसा द्वारा पेश किया गया है जैसा कि परिकल्पित है कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली (एलएडीसीएस) में समर्थन प्रणाली के साथ अधिवक्ताओं की पूर्णकालिक नियुक्त सभी अधिवक्ताओं से संवाददाताओं को परिचय कराया गया ।जिसमें श्री युगेश किशोर पाण्डेय, मुख्य बचाव अधिवक्ता श्री मुकेश कुमार एवं श्री अभिनन्दन कुमार उप मुख्य बचाव अधिवक्ता तथा रंधीर कुमार, एवं चन्दन कुमार मिश्रा सहायक बचाव अधिवक्ता शामिल है। जिला जज ने सभी बचाव अधिवक्ताओं की उपस्थिति में संवाददाताओं को बताया गया कि इनका कार्य विशेष रूप से पूर्व-गिरफ्तारी, गिरफ्तारी और रिमाण्ड चरण में परीक्षण और अपील आदि के समापन तक हर चरण में आपराधिक मामलों में कानूनी सहायता कार्य से निपटना, समय पर कानूनी सहायता की उपलब्धता और समाज के वंचित और वंचित वर्ग को पेशेवर तरीके से गुणात्मक और सक्षम कानूनी सेवाऐं प्रदान करने के लिए एक तंत्र बनाने में मदद करने के उद्देश्य से जिला विधिक सेवा प्राधिकार अन्तर्गत कानूनी सहायता रक्षा परामरर्शदाता कार्यालय में नियुक्ति है जो सिर्फ बचाव पक्ष के लिए कार्य करते हैं एवं न्यायालय में अभियुक्त की ओर से अपना पक्ष रखते हुए बचाव करते हैं। और ये सब अपनी नियुक्ति तक किसी प्रकार का निजी कार्य नहीं करते है ऐसा इनके सेवा संहिता में भी स्पष्ट रूप से अंकित है। इनका लाभ लेने के लिए कोई भी सामान्य वर्ग के व्यक्ति जिनकी आय डेढ़ लाख रूपया वार्षिक से कम हो अथवा महिला, विकलांग, काराधीन एवं अनुसूचित जाति/जनजाति से सम्बन्धित व्यक्ति ले सकता है। इस प्रणाली के अन्तर्गत सैकड़ो व्यक्ति को मु्फ्त और प्रभावकारी बचाव का लाभ मिल रहा है। जिला जज ने मीडिया से भी अपील किया कि इस प्रणाली का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करें ताकि पैसे के अभाव में कोई भी न्याय पाने से वंचित न रहे।

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