NGTV NEWS । NEWS DESK । महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को अंनत, अगम,अगोचर, अविनाशी आदिदेव भगवान शिव, करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। यही वजह है कि इसे हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महापर्व के रूप में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि वह महारात्रि है जिसका शिव तत्व से घनिष्ठ सम्बन्ध है। यह पर्व शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है। उनके निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है। भगवान शिव हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर आदि विकारों से मुक्त करके परम सुख शान्ति और ऐश्वर्य प्रदान करते हैं। महाशिवरात्रि व्रत परम मंगलमय और दिव्यतापूर्ण है। यह व्रत चारों पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है।

शिव-पार्वती के मिलन का दिन है
महाशिवरात्रिपौराणिक ग्रंथों के अनुसार, देवी सती का पार्वती के रूप में पुनर्जन्म हुआ था। शिव को पति रूप में पाने के लिए वे त्रियुगी नारायण से पांच किलोमीटर दूर गौरीकुंड में कठिन तप करने लगीं। महाज्ञानी शिव ने सब कुछ जानते हुए भी गौरी की परीक्षा ली, लेकिन उन्होंने अपने कठिन तप से शिव का मन जीत लिया। उनकी निर्विकार आंखों से प्रेम की वर्षा होने लगी। इसी दिन भगवान शिव और आदिशक्ति माँ पार्वती का विपुल उत्सव के साथ विवाह संपन्न हुआ एवं पार्वती शिव के साथ कैलास पर्वत पर आ गई। घर-परिवार के लिए पूर्ण समर्पित पति-पत्नी की प्रेरणा के मूल में शिव-पार्वती ही हैं, उनका दांपत्य आदर्श माना गया है। इसलिए शिव-पार्वती हमारे मन में धर्म और कला में रमे हुए हैं।
शिव की महत्ता
शिवपुराण में वर्णित है कि शिवजी के निराकार स्वरुप का प्रतीक ‘लिंग’ इसी पावन तिथि की महानिशा में प्रकट होकर सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पूजित हुआ था। इसके अनुसार जो भक्त शिवरात्रि को दिन -रात निराहार एवं जितेन्द्रिय होकर अपनी पूर्ण शक्ति एवं सामर्थ्य द्वारा निश्छल भाव से शिवजी की यथोचित पूजा करता है, वह वर्ष-पर्यन्त शिव पूजन करने का सम्पूर्ण फल तत्काल प्राप्त कर लेता है । यह दिन जीव मात्र के लिए महान उपलब्धि प्राप्त करने का दिन भी है। इस दिन जो मनुष्य परमसिद्धिदायक भगवान भोलेनाथ की उपासना करता है वह परम भाग्यशाली होता है। भगवान श्री राम ने स्वयं कहा है कि-
‘शिव द्रोही मम दास कहावा ! सो नर मोहि सपनेहुँ नहिं भावा !!’।
अर्थात जो शिव का द्रोह करके मुझे प्राप्त करना चाहता है वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता।
महाशिवरात्रि पर कैसे करें पूजा एवं मंत्र।
सनातन धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व अधिक महत्व है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी 2025 को सुबह 09 बजकर 30 मिनट से शुरू होगी ।
ऐसे करें भगवान शिव की पूजा
महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे और दिन की शुरुआत ईश्वर के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर साफ सफेद वस्त्र धारण करें। इस दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें। अब सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। अब शिवलिंग का जल, दूध और गंगाजल से अभिषेक करें। शिवलिंग पर फूल, बेलपत्र और बेर आदि चीजें अर्पित करें। घी का दीपक जलाएं और आरती करें। साथ ही शिव का चालीसा का पाठ करें। भगवान शिव को विशेष चीजों का भोग लगाएं और लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
महाशिवरात्रि पर फल प्राप्त कैसे करें :-
महाशिवरात्रि का पावन दिन सभी कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर और विवाहित महिलाओं को अखंड सुहाग का वरदान दिलाने वाला सुअवसर प्रदान करता है। अगर विवाह में कोई बाधा आ रही हो, तो भगवान शिव और जगत जननी के विवाह दिवस यानी महाशिवरात्रि पर इनकी पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। इस दिन व्रती को फल, पुष्प, चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप, दीप और नैवेद्य से चारों प्रहर की पूजा करनी चाहिए। दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिव को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें। चारों प्रहर के पूजन में शिव पंचाक्षर ‘ओम् नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें। भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ नामों से पुष्प अर्पित कर भगवान की आरती और परिक्रमा करें। शिव के फलदायी मंत्रशिव को पंचामृत से अभिषेक कराते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें- ऊं ऐं ह्रीं शिव गौरीमव ह्रीं ऐं ऊं। महिलाएं सुख-सौभाग्य के लिए भगवान शिव की पूजा करके दुग्ध की धारा से अभिषेक करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करें। मंत्रः ऊं ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ऊं।लक्ष्मी अपने `श्री’ स्वरूप में अखंड रूप से केवल भगवान शिव की कृपा से ही जीवन में प्रकट हो सकती हैं। अखंड लक्ष्मी प्राप्ति हेतु निम्न मंत्र की दस माला का जाप करें। मंत्रः ऊं श्रीं ऐं ऊं। शादी में हो रही देरी दूर करने के लिए इस मंत्र के साथ शिव-शक्ति की पूजा करें। हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी कान्तकांता सुदुर्लभाम।। पुत्र विवाह के लिए निम्न मंत्र का जप मूंगा की माला से पुत्र द्वारा करवाएं। पत्नी मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्। तारिणीं दुर्गसंसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।संपूर्ण पारिवारिक सुख-सौभाग्य हेतु निम्न मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। ऊं साम्ब सदा शिवाय नमः।।शिव सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देव हैं ।
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त जाने
महाशिवरात्रि पर श्रवण नक्षत्र का संयोग बनेगा 26 फरवरी को श्रवण नक्षत्र सुबह से लेकर शाम 5 बजकर 8 मिनट तक प्रभावी रहेगा. इसी दिन मकर राशि के चंद्रमा की साक्षी में सूर्य, बुध व शनि की युति कुंभ तीनों कुंभ राशि में विराजमान होंगे. सूर्य व शनि पिता पुत्र हैं और सूर्य शनि की राशि कुंभ में रहेंगे. ऐसे में बुद्धादित्य योग, त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है. इसके अलावा महाशिवरात्रि के दिन शिव योग और परिध योग का संयोग बन रहा है. यह योग सफलता और समृद्धि का प्रतीक है. इन योगों में की गई पूजा-अर्चना से मनोकामनाएं जल्दी पूर्ण होती हैं. इस योग में किए गए कार्य और व्रत का फल कई गुना अधिक मिलता है. ब्रह्म मुहूर्त 26 फरवरी को- सुबह 5 बजकर 17 मिनट से 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगा.
पहले प्रहर की पूजा का समय- 26 फरवरी शाम को 6 बजकर 29 मिनट से रात 9 बजकर 34 मिनट तक है.
दूसरे प्रहर की पूजा का समय- 26 फरवरी रात 9 बजकर 34 मिनट से 27 फरवरी 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा.
तीसरे प्रहर की पूजा का समय -26 फरवरी की रात 12 बजकर 39 मिनट से 3 बजकर 45 मिनट तक है.
चौथे प्रहर की पूजा का समय- 27 फरवरी सुबह 3 बजकर 45 मिनट से 6 बजकर 50 मिनट तक है.