न्यूज डेस्क । बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC ) विवाद को लेकर जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर एक और कानूनी पचड़े में फंसते नजर आ रहें जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर कानून पचड़े में फंस गए हैं। BPSC की ओर से उन्हें लीगल नोटिस भेजा गया है। नोटिस में बिहार लोक सेवा आयोग के वकील ने BPSC पर लगाए गए आरापों पर तथ्यों के साथ जवाब तलब किया है। बीते दिनों जब पीके 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा को रद्द कराने की मांग को लेकर गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे थे तो उन्होंने आयोग पर पैसे लेकर सीट बेचने का आरोप लगाया था। इसे लेकर आयोग की ओर से उन्हें कानूनी नोटिस भेजा गया है।
प्रशांत किशोर को BPSC ने थमाया नोटिस
नोटिस मिलने के सात दिनों के भीतर पीके को जवाब देने को कहा गया है। साथ ही यह भी साफ-साफ कह दिया गया है कि जवाब नहीं देने पर आयोग की टीम आगे कानूनी कार्रवाई करेगी। आयोग के वकील संजय सिंह की ओर से यह नोटिस पीके को भेजा गया है और उन्हें 2, 3 और 6 जनवरी को बीपीएससी के खिलाफ यूट्यूब पर दिए गए उनके बयान को आधार बनाकर आरोपों के संबंध में साक्ष्य मांगा गया है।
पीके ने लगाया था ये आरोप
प्रशांत किशोर ने अपने आरोपों में कहा था कि BPSC में हर पोस्ट के लिए 30 लाख रुपए से डेढ़ करोड़ रुपये तक में डील होती है। यही वजह है कि छात्र लगातार 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि प्रशांत किशोर 2 जनवरी को गांधी मैदान में आमरण अनशन की शुरुआत की थी। 6 जनवरी को पटना पुलिस ने अहले सुबह गिरफ्तार कर लिया फिर कोर्ट में पेश किया था। पीके को कोर्ट से बेल मिल गई थी।
प्रशांत किशोर को अस्पताल में भर्ती
कोर्ट से बेल मिलने के बाद पीके ने अपना आमरण अनशन जारी रखा। इसके बाद 7 जनवरी को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। तब से वे अस्पताल में ही भर्ती हैं और इस दौरान उनका आमरण अनशन भी जारी है। इस बीच उन्हें एक और झटका लगा है। अब BPSC ने लीगल नोटिस भेजकर आयोग पर लगाए आरोपों पर जवाब मांगा है।
Anu gupta