संवाददाता विकास कुमार
सहरसा से 16 किलोमीटर दूर महिषी गांव में उग्रतारा मंदिर अवस्थित है।जो प्रसिद्ध शक्तिपीठ स्थलों में से एक ये भी मंदिर है।यह मंदिर 700 साल पूर्व का बताया जा रहा है।इस मंदिर में प्रत्येक मंगलवार को श्रद्धालुओं की भीड़ काफी रहती है साथ ही साथ नवरात्र के समय देश विदेश के श्राद्धालु की भी भीड़ रहती है।इस मंदिर में जो भी श्राद्धालु सच्चे मन से कुछ मांगते हैं मां तारा उसकी मनोकामना पूर्ण करती है।मंदिर से पहले भगवती यहां मौजूद थी पीपल के वृक्ष के निचे।मंदिर के पुजारी प्रमोद कुमार खां की माने तो वशिष्ठता अराधिता उग्र तारा ये तारा पीठ में तारा है यहाँ उग्र तारा है।वशिष्ठ जी जो हैं उग्र तपस्या करके भगवती को चीन देश से लाये थे।ये कहानी शास्त्र में मिल रही है,वहां नील सरस्वती नदी अभी भी बह रही है।वहां से ई भगवती यहां आयी तो वशिष्ठ जी से भगवती तीन प्रतिज्ञा करवाई,लोभ,अहंग, ईर्ष्या यह तीनो चीज आप में आ जाएगा तो मैं विलीन हो जाऊंगी।ऐसा वचन देकर भगवती यहां आयी थी।वशिष्ठ जी यहां दिनभर पूजा पाठ करते थे और विश्राम करते थे।ऐसा हुआ कुछ ऋषि मुनियों के किंग वदंती की चाल इधर उधर सुनकर वशिष्ठ जी को ईर्ष्या आ गया।ईर्ष्या आने के बाद वशिष्ठ जी ऋषि मुनियों को कुछ कह दिए और भगवती जो रात में ही विलीन हो गयी।
Gautam Kumar